आत्मनिर्भर भारत के लिए डिफेंस टेक्नोलॉजी अत्यंत आवश्यक” — डीआरडीओ अध्यक्ष के तकनीकी सलाहकार मनीष भारद्वाज
आत्मनिर्भर भारत के लिए डिफेंस टेक्नोलॉजी अत्यंत आवश्यक” — डीआरडीओ अध्यक्ष के तकनीकी सलाहकार मनीष भारद्वाज
“आत्मनिर्भर भारत के लिए डिफेंस टेक्नोलॉजी अत्यंत आवश्यक” — डीआरडीओ अध्यक्ष के तकनीकी सलाहकार मनीष भारद्वाज
एसएसपीयू में बी.टेक. इन डिफेंस टेक्नोलॉजी पाठ्यक्रम की शुरुआत
पुणे, 7 जून 2025 — “आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए डिफेंस टेक्नोलॉजी की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। जिस प्रकार ‘मेक इन इंडिया’ अभियान राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक है, उसी प्रकार आधुनिक युद्ध क्षमताओं और तकनीकी आत्मनिर्भरता के लिए स्वदेशी रक्षा अनुसंधान और विकास अनिवार्य है।” यह विचार रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष के तकनीकी सलाहकार मनीष भारद्वाज ने व्यक्त किए। वे सिंबायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (SSPU) में शुरू किए गए बी.टेक. इन डिफेंस टेक्नोलॉजी कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।
“डीआरडीओ द्वारा विकसित मिसाइलें — जैसे ‘आकाश’, ‘ब्रह्मोस’, साथ ही रडार प्रणाली और ड्रोन टेक्नोलॉजी — आज भारत की रक्षा शक्ति और तकनीकी प्रगति के प्रतीक बन चुके हैं। यह केवल वैज्ञानिक उपलब्धियाँ नहीं, बल्कि सामरिक स्वावलंबन का भी संकेत हैं। छात्रों को सिर्फ सफल करियर बनाने तक सीमित न रहते हुए राष्ट्र निर्माण में भी सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए — यही सच्ची देश सेवा है,” ऐसा भारद्वाज ने जोर देकर कहा।
सिंबायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, पुणे की ओर से आगामी शैक्षणिक वर्ष से आरंभ किए जा रहे ‘बी.टेक इन डिफेंस टेक्नोलॉजी’ पाठ्यक्रम का उद्घाटन मान्यवरों के कर-कमलों द्वारा संपन्न हुआ। इस अवसर पर वे मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सिंबायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की प्रो-वाइस चांसलर डॉ. स्वाति मुझुमदार ने की। साथ ही, इस कार्यक्रम में टाटा टेक्नोलॉजीज़ के ग्लोबल हेड और वाइस प्रेसिडेंट सुशील कुमार, गोदरेज एयरोस्पेस के पूर्व बिजनेस हेड और वाइस प्रेसिडेंट एस.एम. वैद्य, डीमा मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के निदेशक शिरीष देशमुख, डिफेंस कमेटी एमसीसीआईए के प्रतिनिधि, एसआरजीएफ के एमडी वरुण खंदारे, तथा डिफेंस कमेटी एमसीसीआईए के हर्ष गुणे माननीय अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
इस अवसर पर सिंबायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की प्रो-वाइस चांसलर डॉ. स्वाति मुझुमदार की उपस्थिति में वसुंधरा जियो टेक्नोलॉजी (अद्वैत कुलकर्णी) और डीएसए इलेक्ट्रो एंड डिज़ाइन (डायरेक्टर अशोक सुबेदार) — इन दो कंपनियों के साथ विश्वविद्यालय ने समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
मनीष भारद्वाज ने कहा, “सिंदूर घटना ने पूरे देश को यह महसूस कराया कि डीआरडीओ का महत्व कितना अधिक है। हालांकि, इस क्षेत्र में अभी भी बड़े पैमाने पर कुशल मानव संसाधन की आवश्यकता है। राष्ट्र निर्माण के लिए इस क्षेत्र में और अधिक अनुसंधान होना चाहिए। समय के साथ बदलाव को देखते हुए, कंपनियों, शैक्षणिक संस्थानों और शोधकर्ताओं को एकजुट होकर देश के विकास में सक्रिय योगदान देना होगा।”
डॉ. स्वाति मुझुमदार ने कहा, “भारत आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की संकल्पना पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश की सुरक्षा के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ है और इससे डिफेंस क्षेत्र की आवश्यकता उजागर हुई है। इस शैक्षणिक वर्ष में शुरू किया गया यह नया पाठ्यक्रम छात्रों के करियर को नई दिशा प्रदान करेगा। यह देश की पहली स्किल यूनिवर्सिटी है, जहाँ पिछले आठ वर्षों से उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार छात्रों को कौशल आधारित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही, हमारे साथ 250 कंपनियाँ साझेदार के रूप में जुड़ी हुई हैं।”
“एक सुरक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के उद्देश्य से सिंबायोसिस ने बी.टेक. इन डिफेंस टेक्नोलॉजी पाठ्यक्रम की शुरुआत की है। देश की कई अग्रणी कंपनियाँ सैन्य तकनीक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और हजारों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर रही हैं। एआई, साइबर सुरक्षा, ऑटोनॉमस सिस्टम्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के एकीकरण के साथ यह पाठ्यक्रम लड़के और लड़कियों — दोनों के लिए उपयुक्त है। इसके माध्यम से उन्हें भारत की भविष्य की रक्षा क्षमताओं को आकार देने का अवसर मिलेगा। यह डिफेंस टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग के उभरते क्षेत्र में एक अभिनव और व्यावहारिक पाठ्यक्रम है।”
मेजर जनरल विनय हांडा ने इस पाठ्यक्रम और भारत में सैन्य क्षेत्र की उभरती संभावनाओं पर बोलते हुए कहा, “इस क्षेत्र में निजी और सरकारी कंपनियों का सक्रिय सहयोग है। भविष्य में इस क्षेत्र को अत्यधिक महत्व मिलने वाला है। रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान, निर्यात, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), और एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है। यह सीधा-सीधा देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ विषय है और इस क्षेत्र में 25% की वार्षिक वृद्धि देखी जा रही है।”
उन्होंने आगे बताया, “वैश्विक रक्षा उद्योग लगभग 2.5 ट्रिलियन डॉलर का है, जिसमें करीब 1 मिलियन (10 लाख) नौकरियाँ उपलब्ध हैं। भारत में डिफेंस क्षेत्र के अंतर्गत 65% रक्षा उपकरणों का उत्पादन किया जाता है। देश में 430 से अधिक रक्षा कंपनियाँ और लगभग 16,000 एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) कार्यरत हैं। वर्ष 2024–25 के दौरान रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (DPSUs) में 42.85% की वृद्धि देखी गई है।”
इसके पश्चात, एस.एम. वैद्य, शिरीष देशमुख, वरुण खंदारे, सुशील कुमार और हर्ष गुणे ने अपने भाषणों में कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए सैन्य अनुसंधान, नए उत्पादों का विकास और स्टार्टअप की शुरुआत करने के लिए यह एक बहुत बड़ा अवसर है, जिसमें रोजगार की भी भरपूर संभावनाएँ मौजूद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकांश विश्वविद्यालयों में सिस्टम इंजीनियरिंग नहीं पढ़ाई जाती, लेकिन सिंबायोसिस स्किल यूनिवर्सिटी ने अपने पाठ्यक्रम में इसे शामिल कर एक बेहतरीन पहल की है। उन्होंने यह भी कहा कि महत्वपूर्ण प्रणालियों (क्रिटिकल सिस्टम्स) के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहने के बजाय, हमें अपनी खुद की नई सोच और नवाचारों के साथ आगे आना चाहिए और अवसरों की तलाश करनी चाहिए।
इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल वी.जी. खंदारे और एयर मार्शल भूषण गोखले ने ऑनलाइन माध्यम से इस क्षेत्र के भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए शुभकामनाएँ दीं।
डॉ. स्मिता शुक्ला ने कार्यक्रम का संचालन किया, जबकि मेजर जनरल विनय हांडा ने अंत में आभार प्रकट किया।